ओषधि प्राय: भगवान श्रीकृष्ण की पटरानीया ब्रजगोपियों के नाम से नाक भों सिकोड़ने लगती. इसके अहंकार को भंग करने के लिए प्रभु ने एक बार एक लीला रची. नित्य निरामय भगवान बीमारी का नाटक कर बिस्तर पर पड़ गए. नारदजी आये. वे भगवान के मनोभाव को समझ गए. उन्होंने बताया कि इस रोग की ओषधि […]